यदि आप भी Audit kya hota hai, ये कैसे किया जाता है, audit meaning in hindi, ऑडिट कौन करता है, Audit क्यों किया जाता है, जैसे सामान्य प्रश्नों के उत्तर जानना चाहते हैं तो आज हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।
ऑडिट आजकल के समय में एक आम बोलचाल वाली भाषा का शब्द हो गया है खासकर से जीएसटी आने के बाद। यदि आप बिज़नेस करते हैं जिसमे प्रतिदिन का लेनदेन या चीज़ों का क्रय-विक्रय शामिल है या फिर जिसमें किसी सेवा का आदान-प्रदान कर लाभ कमाया जाता हो तो उस बिज़नेस के वर्षभर का लेखा-जोगा का हिसाब-किताब ही ऑडिट की श्रेणी के अंतर्गत आता है। तो आइए आपको ऑडिट के बारे में सब विस्तार से बताते हैं।
ऑडिट का अर्थ | Audit Meaning in Hindi
ऑडिट को यदि हम हिंदी में समझना चाहे तो इसे अंकेक्षण कहा जाएगा। अंकेक्षण का अर्थ हुआ अंकों की जांच। अब बिज़नेस में सब हिसाब-किताब तो अंकों के माध्यम से ही किया जाता है। तो वर्ष के अंत में इन सभी अंकों की जांच की जाती है और सब प्रकार की त्रुटियों को दूर कर, सभी का मिलान कर उसे पूर्ण रूप दिया जाता है। इसलिए ही इसे अंकेक्षण कहते हैं जिसे अंग्रेजी में आम तौर पर ऑडिट कहा जाता है।
Audit Meaning in Hindi = अंकेक्षण / लेखा परीक्षण / संपरीक्षा / हिसाब की जांच
ऑडिट क्या है | Audit Kya Hota Hai
आप चाहे दुकानदार हो या कोई बड़ा बिज़नेस चलाने वाले, आपको अपने बिज़नेस का हिसाब-किताब रखना ही होता है। इसका हिसाब-किताब रखने के लिए आप एक accountant भी रखते होंगे जो टैली या किसी अन्य सॉफ्टवेर की सहायता से आपके बिज़नेस का प्रतिदिन का हिसाब-किताब रखता होगा।
उदाहरण के तौर पर रोजाना की बिक्री कितनी हुई, फलाना सामान खरीदने की लागत क्या थी तथा उसे कितने में बेचा गया और उसमे आपका कितना लाभ या हानि हुई। इसके अलावा आपके Business में अन्य खर्चें क्या लगे जैसे कि कुछ रिपेयर करवाना, सामान का बदलना, ख़राब चीज़े आना या चीजें ख़राब हो जाना या कुछ अन्य कारण।
तो इन सभी का हिसाब-किताब एक पुस्तक में या कंप्यूटर में सॉफ्टवेर के माध्यम से रखा जाता है। अब हर वर्ष इन सभी की जांच करवाने को ही ऑडिट कहा जाता है। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि ऑडिट का अर्थ हुआ वर्षभर के लेखे-जोगे को देखना और उसमे कोई त्रुटी हो तो उसे दूर कर एक दम दुरुस्त बनाना।
ऑडिट कैसे किया जाता है | Audit Kaise Hota Hai
ऑडिट मुख्यतया तीन तरह के व्यक्तियों के द्वारा किया जा सकता है। आइए उनके बारे में भी जाने।
1. चार्टेड अकाउंटेंट के द्वारा ऑडिट करना
इसमें एक प्रोफेशनल व्यक्ति के द्वारा ऑडिट करवाया जाता है। हालाँकि आपके बिज़नेस का लेखा-जोगा एक अकाउंटेंट रखता होगा लेकिन उसका सब कच्चा चिट्ठा आप एक प्रोफेशनल व्यक्ति के पास भेजते है जिसे CA (Chartered Accountant) कहा जाता है।
वह CA आपके सभी बही खातो का मिलान कर, रफ़ काम को एक जगह में सही अंकों के साथ और सरकार की भाषा में डालकर, सही कॉलम में सही अंक भरकर उसे एक पूर्ण रूप देता है। इस तरह निजी सीए से आप अपने बिज़नेस का audit करवा सकते हैं।
2. इनकम टैक्स अधिकारियों के द्वारा
इनकम टैक्स अधिकारी भी आपके बिज़नेस का ऑडिट कर सकते हैं और उनकी जांच कर सकते है। इसमें भी सीए आपकी सहायता कर सकता है क्योंकि इससे आपका ही काम आसान होगा और आप इनकम टैक्स अधिकारियों के असामान्य प्रश्नों का उत्तर देने से बच जाएंगे। साथ ही आपको पहले से ही सभी जानकारी होगी कि आपकी उस वर्ष में कितनी कमाई हुई है और आपको कितना टैक्स भरना होगा।
इसके साथ ही यदि आपका टैक्स बच भी सकता है तो वह भी सीए के द्वारा आपको बता दिया जाएगा जिससे आप ही फायदे में रहेंगे। इसलिए अपना ऑडिट पहले से ही करवा के रखेंगे तो बेहतर रहेगा।
3. थर्ड पार्टी के द्वारा
यदि आप बड़ा बिज़नेस चलाते हैं और किसी के साथ पार्टनरशिप में भी हैं या आपके ग्राहक भी आपके बिज़नेस से संबंध रखते हो या कोई और कारण हो तो एक निष्पक्ष ऑडिट के लिए थर्ड पार्टी का भी सहारा लिया जा सकता है। उस थर्ड पार्टी के द्वारा आपके सालभर के लेखे-जोगे और उनसे हुई लाभ-हानि का आंकलन किया जाएगा ताकि आप सभी के बीच पारदर्शिता बनी रहे।
ऑडिट रिपोर्ट क्या है | Report of Audit Meaning in Hindi
जब आप निजी सीए या किसी अन्य संस्था के द्वारा अपने बिज़नेस का ऑडिट करवाते हैं तो वह वर्षभर के सभी लेनदेन का हिसाब-किताब अच्छे से जांच कर और उनका आंकलन कर एक रिपोर्ट तैयार करता है। इस रिपोर्ट में आपके उस वित्तीय वर्ष का पूरा हिसाब-किताब सही शब्दों में और विस्तृत रूप से होता है।
कहने का तात्पर्य यह हुआ कि इसमें कोई भी चीज़ बिखरी हुई नही होगी क्योंकि इनकम टैक्स के अधिकारी आपकी इसी रिपोर्ट की जांच करेंगे और फिर उन्हें सही आंकड़ों से मिलायेंगे। साथ ही आपको टैक्स भरते समय इसी को सबमिट करना होता है। इसलिए प्रोफेशनल व्यक्ति या सीए के द्वारा ऑडिट कर जो विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाती है उसे ही ऑडिट रिपोर्ट के नाम से जाना जाता है।
ऑडिट के प्रकार | Types of Audit in Hindi
ऑडिट के मुख्यतया दो प्रकार होते हैं:
1. आंतरिक अंकेक्षण | Internal Audit in Hindi
इसमें आपके बिज़नेस के अंदर जो रिपोर्ट तैयार की जाती है या जो आप निजी सीए या किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा अपने बिज़नेस का ऑडिट करवाते हैं, वह आता है। इसे एक तरह से इंटरनल रिपोर्ट कहा जाएगा।
2. बाह्य अंकेक्षण | External Audit in Hindi
इसमें आपके बिज़नेस का सब ऑडिट और उसकी जांच एक स्वतंत्र बाह्य एजेंसी के द्वारा की जाएगी। इससे आपको निष्पक्षता बनाए रखने में सहायता मिलती है और आप भी अपने बिज़नेस की रिपोर्ट पर पूरी तरह से भरोसा कर सकते हैं।
क्यों जरुरी है ऑडिट करना | Audit Kyu Hota Hai
यदि आप अपने बिज़नेस का ऑडिट नही करवाते हैं तो आपको यह पता ही नही चलेगा कि आपके बिज़नेस में असलियत में चल क्या रहा है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि आप वर्षभर अपने किये काम का हिसाब ही सही से नही रखेंगे तो आप कैसे पता लगाएंगे कि अगले वर्ष आपको क्या बेहतर करने की आवश्यकता है जिससे कि आपका ज्यादा से ज्यादा लाभ हो और जो अनावश्यक खर्चे हो रहे हैं उन्हें कम किया जाए।
साथ ही यदि आप ऑडिट नही करवाएंगे तो इनकम टैक्स के द्वारा आपके ऊपर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में इनकम टैक्स अधिकारी आपके बिज़नेस की जांच करने भी आ सकते हैं और आपके ऊपर दंडात्मक कार्यवाही कर सकते हैं।
इसके साथ ही यदि आप समय पर अपने बिज़नेस का ऑडिट करवा लेंगे तो शायद आपको टैक्स कम देना पड़े क्योंकि आप जिससे ऑडिट करवाएंगे वह आपका ज्यादा से ज्यादा टैक्स बचाने में मदद करेगा। ऐसी कई चीज़े होती है जिनके बारे में आपको नही पता होता लेकिन प्रोफेशनल व्यक्ति इसके बारे में अच्छे से और बेहतर तरीके से जानता है। तो वह व्यक्ति आपका टैक्स बचाने के कई तरीके आपको सुझा सकता है जिससे अन्तंतः आपको ही लाभ मिलेगा।